Sunday, September 26, 2010

जन्मदिन पर ........... आपबीती

वो दिन रहे नहीं कि साल भर
अब इस दिन का इंतज़ार हो
अब उम्मीद भी नहीं कि
तोहफे बेशुमार हों
नए कपड़ों की ज़िद भी
अब तब करूँ
जब कोई हामी और
कोई इन्कार हो
तोहफों का मज़ा भी जाता रहा
जब अपने लिए ख़ुद खरीदार हों
चेहरे पे लकीरें यूँ झाँक रही हैं
पुरानी मंज़िलों में जैसे दरार हों
आत्म-विश्वास की चूलें कुछ हिलने लगी हैं
बालों में सफेदी भी अब मिलने लगी है
खुद को तसल्ली देता हूँ यही सोच कर
'काले बादलों पे जैसे चाँदी-किनार हो'
संबोधन भी जैसे तमाचे मार रहे हैं
पहले जो 'हैप्पी बर्थ डे, यार' थे
'हैप्पी बर्थ डे, सर' चिंघाड़ रहे हैं
बीवी के तोहफे भी जैसे
लगभग क़त्ल करते हैं
लाख कोशिश कर मुस्कुराऊँ
अन्दर आँसू छलकते हैं
अपनी पसंद की चीज़
मुझे गिफ्ट करती है
मेरी पसीने की कमाई 
आंसुओं में बह निकलती है
उपयोगिता पर कोई सवाल करूँ,
उसके पहले ही
'टेम्पो' की तरफ इशारा कर
जैसे कटाक्ष करती है,लिखा है-
'मेरी चलती है तो तेरी क्यूँ जलती है'

जन्मदिन पर पुराने तोहफे 'मिस' करता हूँ
चौकलेट-केक को मन ही मन तरसता हूँ
फिर हिम्मत बटोर, पूरे आत्म-विश्वास से
दुकान से,'किसी को गिफ्ट करना है' बोल
कुछ मिठाई-चौकलेट पैक करवाता हूँ
फिर इत्मीनान से, ऑफिस के कोने में बैठ कर
'गिफ्ट' की चीज़ों का मज़ा उठाता हूँ
दन्त-चिकित्सक के शब्द याद आते हैं
मीठे के बावजूद मुंह किरकिरा कर जाते हैं
'अपनी दाढ़ों के सुराखों पर थोड़ा ध्यान दीजिये
इस उम्र में मीठा थोड़ा कम कीजिये'

'फेसबुक' भी इक अच्छा-सस्ता साधन हो गया
मेरा परिवार अचानक रातों-रात चौगुना हो गया
अल्लाह से अब एक नया शिकवा-गिला है
उम्र के इस पड़ाव पर ये सिला मिला है
पहले जिन्हें मेरी सूरत भी याद ना थी
कॉलेज की वो लडकियां दोस्ती का दंभ भरती हैं
रात १२ बजे ही 'हैप्पी बर्थ डे' विश करती हैं

बस बहुत हो गया ये अहसास-ए-बुढ़ापा
इसके पहले कि मैं खो दूं अपना आपा
सभी बुढ़ाते जवानों का आवाह्न करता हूँ
इस विषय पर अब आन्दोलन होना चाहिए
३०-बाद 'साल गिरह मुबारक' के हर सन्देश में
उम्र का ज़िक्र प्रतिबंधित होना चाहिए
ग्रीटिंग-कार्ड्स कि कंपनियों से अनुरोध हो
इस तरह के कार्ड्स-तोहफों का प्रतिरोध हो
बल्कि गुज़ारिश है, संसद में क़ानून बनाया जाये
और जन्मदिन पर उम्र के उल्लेख को
'घोर-अपराध' की श्रेणी में लाया जाये